आईआईटी में पढ़ना हर किसी का ख्वाब होता है और आज का युवा जेईई एडवांस में सफल होकर भी अपनी सीट छोड़ दे, ये कोई सामान्य बात नहीं है. मगर शिवांश के दिल में फौजी बनकर देश की सेवा करने का सपना था, सो उन्होंने ऐसा ही किया. जेई एडवांस में 8513 वीं रैंक हासिल करने के बाद शिवांश ने अपनी सीट छोड़ दी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की तयारी में जुटे रहे. और जब 371 सफल प्रतिभागियों की लिस्ट आई तो शिवांश अव्वल रहे |
जेई एडवांस में सफलता हासिल करने के बाद परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों की बधाइयां आ रही थीं. इतना ही नहीं, एनडीए में पहली रैंक आने के बाद पूरे राज्य भर से बधाईओं की लाइन लग गई है. देश भर की मीडिया में शिवांश छाये हुए हैं. शिवांश बताते हैं कि बचपन में ही उन्होंने सेना में जाने का मन बना लिया था. घर के आसपास बहुत सारे लोग हैं, जो फौज़ में हैं जो कहीं न कहीं शिवांश को हमेशा सेना ज्वाइन कर देश की सेवा के लिए प्रेरित करते रहे. शिवांश को 26/11 की मुंबई हमले ने भी काफी प्रभावित किया था. शिवांश ये भी बताते हैं कि उनकी सेना को लेकर इतनी दिलचस्पी है कि उन्होंने यूट्यूब पर भारतीय सेना और सुरक्षा बालों से जुड़े लगभग सारी डॉक्यूमेंट्रीज देखीं हैं.
उत्तराखंड के छोटे से शहर रामनगर कि रहने वाले शिवांश ने लिटिल स्कॉलर स्कूल से 12वीं की परीक्षा 96.8 फीसदी अंकों से पास किया है. भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करने वाले शिवांश के पिता संजीव जोशी चाहते थे कि उनका बेटा पहले आईआईटी की तैयारी करे. मगर अपने सपने पूरा करने से पहले शिवांश ने अपने पिता की चाहत को भी पूरा किया. शिवांश की मां स्कूल में पढ़ाती हैं और उन्होंने अपने बेटे के सपनों को तराशने में एक टीचर और मां दोनों की भूमिका को बखूबी निभाया |एडवांस की तैयारी के बाद शिवांश को एनडीए की तैयारी में कोई खासी मुश्किल नहीं हुई. इंग्लिश और इंटरव्यू की तैयारी उन्होंने जरूर अलग से की. इंटरव्यू में भी ये सवाल पूछे गए कि आप इंजीनियरिंग की सीट छोड़कर एनडीए में क्यों आने चाहते हैं. शिवांश के मन में इस बात को लेकर भी कोई अनिश्चितता नहीं थी कि उन्हें कौन सी सर्विस - यानी आर्मी, एयरफोर्स या नेवी में से क्या ज्वाइन करना है. शिवांश ने आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया है. हर दूसरे घर में फौजी की उत्तराखंड की परंपरा को शिवांश की सफलता से नई ऊर्जा मिलेगी |
जेई एडवांस में सफलता हासिल करने के बाद परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों की बधाइयां आ रही थीं. इतना ही नहीं, एनडीए में पहली रैंक आने के बाद पूरे राज्य भर से बधाईओं की लाइन लग गई है. देश भर की मीडिया में शिवांश छाये हुए हैं. शिवांश बताते हैं कि बचपन में ही उन्होंने सेना में जाने का मन बना लिया था. घर के आसपास बहुत सारे लोग हैं, जो फौज़ में हैं जो कहीं न कहीं शिवांश को हमेशा सेना ज्वाइन कर देश की सेवा के लिए प्रेरित करते रहे. शिवांश को 26/11 की मुंबई हमले ने भी काफी प्रभावित किया था. शिवांश ये भी बताते हैं कि उनकी सेना को लेकर इतनी दिलचस्पी है कि उन्होंने यूट्यूब पर भारतीय सेना और सुरक्षा बालों से जुड़े लगभग सारी डॉक्यूमेंट्रीज देखीं हैं.
उत्तराखंड के छोटे से शहर रामनगर कि रहने वाले शिवांश ने लिटिल स्कॉलर स्कूल से 12वीं की परीक्षा 96.8 फीसदी अंकों से पास किया है. भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करने वाले शिवांश के पिता संजीव जोशी चाहते थे कि उनका बेटा पहले आईआईटी की तैयारी करे. मगर अपने सपने पूरा करने से पहले शिवांश ने अपने पिता की चाहत को भी पूरा किया. शिवांश की मां स्कूल में पढ़ाती हैं और उन्होंने अपने बेटे के सपनों को तराशने में एक टीचर और मां दोनों की भूमिका को बखूबी निभाया |एडवांस की तैयारी के बाद शिवांश को एनडीए की तैयारी में कोई खासी मुश्किल नहीं हुई. इंग्लिश और इंटरव्यू की तैयारी उन्होंने जरूर अलग से की. इंटरव्यू में भी ये सवाल पूछे गए कि आप इंजीनियरिंग की सीट छोड़कर एनडीए में क्यों आने चाहते हैं. शिवांश के मन में इस बात को लेकर भी कोई अनिश्चितता नहीं थी कि उन्हें कौन सी सर्विस - यानी आर्मी, एयरफोर्स या नेवी में से क्या ज्वाइन करना है. शिवांश ने आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया है. हर दूसरे घर में फौजी की उत्तराखंड की परंपरा को शिवांश की सफलता से नई ऊर्जा मिलेगी |
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