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स्वाति बरुआ गुवाहाटी की रहने वाली हैं अब शहर की राष्ट्रीय लोक अदालत में काम करेंगी। स्वाति को डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी द्वारा नियुक्त किया गया है। स्वाति का मूल नाम बिधान बरुआ था। 2012 में वह उस वक्त चर्चा में आईं, जब अपने अधिकार के लिए वह बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचीं। वह लिंग परिवर्तन सर्जरी करवाना चाहती थीं, लेकिन उनका परिवार इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। 26 वर्षीय स्वाति अब असम की पहली और देश की तीसरी ट्रांसजेंडर जज हैं। 
स्वाति लंबे समय से ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। वह कहती हैं, “हम ट्रांसजेंडर्स को समाज में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। हमें बाकी इंसानों से अलग देखा जाता है।” स्वाति का मानना है कि इस नियुक्ति से समाज में ट्रांसजेंडर्स के लिए एक नई राह खुलेगी और लोगों की मानसिकता भी बदलेगी
इस साल स्वाति ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की थी, ताकि ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़े 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रदेश में लागू करवाया जा सके। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने मई 2018 में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि छह महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को नियमानुसार लागू किया जाए।

स्वाति लंबे समय से ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। वह कहती हैं, “हम ट्रांसजेंडर्स को समाज में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। हमें बाकी इंसानों से अलग देखा जाता है।” स्वाति का मानना है कि इस नियुक्ति से समाज में ट्रांसजेंडर्स के लिए एक नई राह खुलेगी और लोगों की मानसिकता भी बदलेगी
इस साल स्वाति ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की थी, ताकि ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़े 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रदेश में लागू करवाया जा सके। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने मई 2018 में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि छह महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को नियमानुसार लागू किया जाए।
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