उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अब तीन साल के नौनिहाल भी दाखिला पा सकेंगे। शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि अगले शिक्षा सत्र से स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की जाएंगी। विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं।
सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। इससे चिंतित विभाग एक प्रयोग करने जा रहा है। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को विद्यालय परिसर में ही संचालित किया जाएगा।
इसमें तीन साल के बच्चों को दाखिला दिया जाएगा। शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि शुरूआत में कुछ विद्यालयों के बाद अन्य विद्यालयों में भी इस तरह के बच्चों को दाखिले दिए जाएंगे।
उन्होंने नकहा कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए विभाग की ओर से यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि प्रदेश में 12,474 प्राथमिक विद्यालयों में करीब चार लाख 74 हजार छात्र अध्ययनरत हैं। इसमें 1800 विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस या इससे भी कम रह गई है। यह विद्यालय बंदी के कगार पर हैं। जबकि कुछ विद्यालयों में इक्का-दुक्का छात्र रह गए हैं।
सरकार स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाहग ने नया प्रयोग करने का निर्णय लेने का फैसला लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि विभाग को इस प्रयोग से नर्सरी स्कूलों में जाने वाले बच्चे सरकारी स्कूलों में आएंगे।
सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। इससे चिंतित विभाग एक प्रयोग करने जा रहा है। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को विद्यालय परिसर में ही संचालित किया जाएगा।
इसमें तीन साल के बच्चों को दाखिला दिया जाएगा। शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि शुरूआत में कुछ विद्यालयों के बाद अन्य विद्यालयों में भी इस तरह के बच्चों को दाखिले दिए जाएंगे।
उन्होंने नकहा कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए विभाग की ओर से यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि प्रदेश में 12,474 प्राथमिक विद्यालयों में करीब चार लाख 74 हजार छात्र अध्ययनरत हैं। इसमें 1800 विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस या इससे भी कम रह गई है। यह विद्यालय बंदी के कगार पर हैं। जबकि कुछ विद्यालयों में इक्का-दुक्का छात्र रह गए हैं।
सरकार स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाहग ने नया प्रयोग करने का निर्णय लेने का फैसला लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि विभाग को इस प्रयोग से नर्सरी स्कूलों में जाने वाले बच्चे सरकारी स्कूलों में आएंगे।
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