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Monday, July 1, 2019

मजदूरी करने वाले के लड़के ने किया कुछ ऐसा

मजदूरी करने वाले के लड़के ने किया कुछ ऐसा The laborer boy did something like this Jodharam patel


हम आज एक ऐसी ब्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है जो निकला मजदूरी करने के लिए लेकिन बन गया डॉक्टर |कोटा के बाड़मेर जिले की गुढ़ामालानी तहसील के पास डेडावास गांव है. जहां एक गरीब परिवार से रहने वाले जोधाराम पटेल ने कुछ ऐसा कर दिखाया की |जोधाराम पटेल ने अपने परिवार का नाम तो रोसन किया साथ ही साथ गाव का भी नाम रोसन किया है | जोधाराम पटेल ने इसी साल NEET के exam दिया |
जिसमे जोधाराम ने नीट में ऑल इंडिया 3886 व ओबीसी कैटेगरी में 1209 रैंक प्राप्त की है.
ऐसा नहीं है कि वो हमेशा से टॉपर रहे. साल 2012 में जोधाराम 10वीं में फेल हुए थे. जिसके बाद ही उनके पिता ने जोधा को मुंबई जाकर मजदूरी करने की सलाह दी थी.
लेकिन जोधाराम के बड़े भाई मेवाराम पटेल और उनके प्रिंसिपल ने उन्हें रोका और आगे कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़कर 10वीं में 64 प्रतिशत अंक हासिल किए थे.
उसके बाद 12वीं में उन्हें 60 प्रतिशत अंक मिले. घर के हालात तब भी ऐसे ही थे कि 12वीं के रिजल्ट के बाद उन्हें फिर से लोगों ने शहर जाकर काम तलाशने या खेती में परिवार की मदद करने की सलाह दीं. लेकिन उनके सिर पर डॉक्टर बनने का जुनून था. इसलिए उन्होंने तैयारी शुरू की. उनकी सफलता के पीछे उनके मामा की मदद का खास योगदान है. उन्होंने उसे कोचिंग के लिए कोटा भेजा. कोटो में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़कर उन्होंने तैयारी की. यही नहीं जोधाराम की प्रतिभा और परिवार की परिस्थिति देख एलन ने फीस में रियायत दी.जिसका परिणाम ये हुआ कि अब जोधाराम मेडिकल कॉलेज में पढ़कर डॉक्टर बनेगा.
पांच साल की मेहनत के बाद उन्होंने नीट परीक्षा निकाल दी. इससे पहले साल 2004 में उनके गांव के एक लड़के ने डॉक्टरी की परीक्षा पास की थी. नीट के साथ-साथ जोधा ने एम्स परीक्षा में रैंक हासिल की.
जोधाराम को NEET रैंकिंग के हिसाब से जोधपुर के सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल सकता है. अब MBBS पूरा करने के बाद, जोधाराम भी अपने गांव के उन बच्चों का साथ देना चाहते हैं जिनके हालात उनके ही जैसे हैं. जोधपुर से 200 किलोमीटर दूर उनके गांव में 2010 तक बिजली भी नहीं थी. गांव की हालत शिक्षा के अनुकूल नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपनी स्कूलिंग के.आर.पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जोधपुर से की. वहां के प्रिंसिपल ने उन्हें 10वीं के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ने के लिए काफी प्रेरित किया.

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