The soldier became but Dreams were big Responsibility of four departments but completed the dream (सिपाही तो बन गए लेकिन सपने बडे़ थे चार विभागों की जिम्मेदारी, फिर भी बाजी मारी)
पीसीएस का रिजल्ट निकला तो उनका चयन जिला कार्यक्रम अधिकारी के पद पर हो गया है। पिछले तीन वर्षों से जिले के कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे केके राय की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।कृष्णकांत राय ने अपनी इच्छाशक्ति को कमजोर नहीं होने दिया। उनके मुताबिक अभी यह सफलता भी एक पड़ाव मात्र ही है, मंजिल तक पहुंचना बाकी है।
बलिया जिले के इब्राहिमाबाद निवासी श्याम बाबू बीए द्वितीय वर्ष में ही थे कि उनका चयन 2005 में पुलिस भर्ती में हो गया। सिपाही तो बन गए लेकिन सपने बडे़ थे। प्राइवेट पढ़ाई कर बीए और फिर एमए की डिग्री हासिल की। लगन व दृढ़ इच्छाशक्ति ऐसी कि सिपाही की ड्यूटी करते हुए भी वर्ष 2017 में नेट की परीक्षा पास की। अब 14 साल तक सिपाही रहने के बाद श्याम बाबू एसडीएम बन गए हैं।
जब पीसीएस-2016 का परिणाम आया तो श्याम बाबू सिपाही से एसडीएम बन गए। श्याम बाबू के पिता धर्मनाथ गांव में ही किराना की दुकान चलाते हैं। श्याम बाबू ने गांव के प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की। वर्ष 2001 में श्री सुदिष्ट बाबा इंटर कालेज रानीगंज से हाईस्कूल व 2003 में इंटर पास किया। उसके बाद इन्होंने पीजी कालेज सुदिष्टपुरी में बीए में दाखिला ले लिया। अभी बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा पास की तभी वर्ष 2005 में यूपी पुलिस में भर्ती हो गये।
सिपाही की नौकरी करते हुए ही प्राइवेट से परीक्षा देकर 2008 में बीए फाइनल की डिग्री हासिल की। इस समय फिर वे इलाहाबाद पुलिस मुख्यालय से सम्बद्ध हैं। गांव के लोग, खासकर युवाओं में जोश है।
चार विभागों की जिम्मेदारी, फिर भी बाजी मारी
बलिया। ‘जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है, कई इम्तिहान अभी बाकी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीं हमने, अभी तो पूरा आसमान बाकी है' जिले में दिव्यांग कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात कृष्णकांत राय ने शायद इन पंक्तियों को ही अपना मूलमंत्र बनाया है। तभी तो सम्मानजनक सरकारी नौकरी पाने के बाद भी वे अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। सरकारी कार्यों की तमाम व्यस्तता के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
जब पीसीएस-2016 का परिणाम आया तो श्याम बाबू सिपाही से एसडीएम बन गए। श्याम बाबू के पिता धर्मनाथ गांव में ही किराना की दुकान चलाते हैं। श्याम बाबू ने गांव के प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की। वर्ष 2001 में श्री सुदिष्ट बाबा इंटर कालेज रानीगंज से हाईस्कूल व 2003 में इंटर पास किया। उसके बाद इन्होंने पीजी कालेज सुदिष्टपुरी में बीए में दाखिला ले लिया। अभी बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा पास की तभी वर्ष 2005 में यूपी पुलिस में भर्ती हो गये।
सिपाही की नौकरी करते हुए ही प्राइवेट से परीक्षा देकर 2008 में बीए फाइनल की डिग्री हासिल की। इस समय फिर वे इलाहाबाद पुलिस मुख्यालय से सम्बद्ध हैं। गांव के लोग, खासकर युवाओं में जोश है।
चार विभागों की जिम्मेदारी, फिर भी बाजी मारी
बलिया। ‘जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है, कई इम्तिहान अभी बाकी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीं हमने, अभी तो पूरा आसमान बाकी है' जिले में दिव्यांग कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात कृष्णकांत राय ने शायद इन पंक्तियों को ही अपना मूलमंत्र बनाया है। तभी तो सम्मानजनक सरकारी नौकरी पाने के बाद भी वे अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। सरकारी कार्यों की तमाम व्यस्तता के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
पीसीएस का रिजल्ट निकला तो उनका चयन जिला कार्यक्रम अधिकारी के पद पर हो गया है। पिछले तीन वर्षों से जिले के कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे केके राय की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।कृष्णकांत राय ने अपनी इच्छाशक्ति को कमजोर नहीं होने दिया। उनके मुताबिक अभी यह सफलता भी एक पड़ाव मात्र ही है, मंजिल तक पहुंचना बाकी है।
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