गुजरात में काम करने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों का इस राज्य से पलायन जारी है। क्योंकि उत्तर भारतीयों पर हो रही हिंसा से ये काफी डरे हुए हैं। गुजरात पुलिस चीफ की तरफ से हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है। गौरतलब है कि पिछले महीने बिहार के एक व्यक्ति द्वारा हिम्मत नगर जिले में 14 महीने की एक बच्ची के साथ बालात्कार की घटना सामने आने के बाद गुजरात में रह रहे उत्तर भारतीयों पर वहां के स्थानीय लोगों ने हिंसा शुरू कर दी।
14 महीने की बच्ची से बालात्कार के मामले में एक गिरफ्तार
गुजरात के मेहसाणा, साबरकांठा और अरावली जिलों में 28 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच उत्तर भारतीय कामगारों पर वहां के स्थानीय लोगों ने हिंसा की। इसके बाद गुजरात पुलिस चीफ ने चेतावनी जारी की थी। लेकिन इस चेतावनी का कोई खास असर नहीं हुआ है और उत्तर भारतीय कामगारों को अभी भी धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनके बीच भय का माहौल है। बच्ची के साथ बालात्कार के मामले में सिरेमिक फैक्ट्री में काम करने वाले रघुवीर साहू नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा शुरू होने के बाद से ही उत्तर भारतीयों का गुजरात से बड़े पैमाने पर पलायन जारी है।
अहमदाबाद और गांधीनगर जिलों में व्यापक सुरक्षा के प्रबंध
अहमदाबाद के चांदलोडिया इलाके में रहने वाले देवेंद्र राठौड़ ने बताता कि कुछ स्थानीय लोग देर रात उनके घर पहुंचे और उन्हें गुजरात छोड़कर चले जाने के लिए कहा। दवेंद्र मध्यप्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं। देवेंद्र ने बताया कि उनके पड़ोसियों को भी गुजरात छोड़कर चले जाने की धमकी दी गई है। लेकिन उनका कहना है कि वही उत्तर भारतीय बड़ी संख्या में गुजरात से पलायन कर रहे हैं, जिनका यहां रहने के लिए कोई स्थाई बंदोबस्त नहीं है।
गुजरात पुलिस के DG ने सोशल मीडिया को ठहराया जिम्मेदार
पुलिस महानिदेशक शिवेंद्र झा ने इस मामले में कहा, 'हमने धमकाने और हिंसा करने के मामले में 180 लोगों को गिरफ्तार किया है। हिंसा के लिए लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से उकसाया जा रहा है। गुजरात पुलिस का साइबर सेल सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले लोगों की पहचान करने में जुटा है। अहमदाबाद, गांधीनगर सहित कई अन्य जिलों में पुलिस के जवान लगातार गश्त कर रहे हैं और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं। ऐसी किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
14 महीने की बच्ची से बालात्कार के मामले में एक गिरफ्तार
गुजरात के मेहसाणा, साबरकांठा और अरावली जिलों में 28 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच उत्तर भारतीय कामगारों पर वहां के स्थानीय लोगों ने हिंसा की। इसके बाद गुजरात पुलिस चीफ ने चेतावनी जारी की थी। लेकिन इस चेतावनी का कोई खास असर नहीं हुआ है और उत्तर भारतीय कामगारों को अभी भी धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनके बीच भय का माहौल है। बच्ची के साथ बालात्कार के मामले में सिरेमिक फैक्ट्री में काम करने वाले रघुवीर साहू नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा शुरू होने के बाद से ही उत्तर भारतीयों का गुजरात से बड़े पैमाने पर पलायन जारी है।
अहमदाबाद और गांधीनगर जिलों में व्यापक सुरक्षा के प्रबंध
अहमदाबाद के चांदलोडिया इलाके में रहने वाले देवेंद्र राठौड़ ने बताता कि कुछ स्थानीय लोग देर रात उनके घर पहुंचे और उन्हें गुजरात छोड़कर चले जाने के लिए कहा। दवेंद्र मध्यप्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं। देवेंद्र ने बताया कि उनके पड़ोसियों को भी गुजरात छोड़कर चले जाने की धमकी दी गई है। लेकिन उनका कहना है कि वही उत्तर भारतीय बड़ी संख्या में गुजरात से पलायन कर रहे हैं, जिनका यहां रहने के लिए कोई स्थाई बंदोबस्त नहीं है।
गुजरात पुलिस के DG ने सोशल मीडिया को ठहराया जिम्मेदार
पुलिस महानिदेशक शिवेंद्र झा ने इस मामले में कहा, 'हमने धमकाने और हिंसा करने के मामले में 180 लोगों को गिरफ्तार किया है। हिंसा के लिए लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से उकसाया जा रहा है। गुजरात पुलिस का साइबर सेल सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले लोगों की पहचान करने में जुटा है। अहमदाबाद, गांधीनगर सहित कई अन्य जिलों में पुलिस के जवान लगातार गश्त कर रहे हैं और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं। ऐसी किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
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