जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने ऑनलाइन मोड के लिए संस्कृत समेत तीन भाषा पाठ्यक्रमों के लांच के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। रिपोर्टों के मुताबिक, तीन पाठ्यक्रम एमए संस्कृत, सर्टिफिकेट ऑफ प्रफिशन्सी इन कंप्यूटेंशनल लिंगग्विस्टिक्स और सर्टिफिकेट ऑफ प्रफिशन्सी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय में ई-लर्निंग के लिए हाल ही में खुले विशेष केंद्रों के द्वारा तीन पाठ्यक्रम पेश किए जाएंगे। जेएनयू कैंपस में शुक्रवार को 147वीं अकादमिक काउंसिल की बैठक में ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम और स्कूल ऑफ संस्कृत में तीन ऑनलाइन प्रोग्राम के प्रस्ताव पास किया गया। बैठक में जेएनयू ने विभिन्न विषयों में ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम शुरू करने पर सहमति जताई, ताकि छात्रों को गुणवत्ता युक्त अच्छी शिक्षा मुहैया करवाई जा सके। जेएनयू विशेषज्ञ विभिन्न विषयों में ऑनलाइन कोर्स तैयार करेंगे।
बैठक में शिक्षकों व कर्मियों की भर्ती और प्रमोशन में यूजीसी रेगुलेशन-2018 के नियम लागू होंगे। इसके अलावा अब एमफिल और पीएचडी में कोई दूसरे की रिसर्च को अपना नाम नहीं दे सकेगा। यदि कोई ऐसा करता है, तो फिर यूजीसी रेगुलेशन-2018 के साहित्यिक चोरी नियम के तहत कार्रवाई होगी। बैठक में जेएनयू यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लागू करने के लिए जेएनयू अध्यादेश की जगह नया अध्यादेश लाने पर भी सहमति बनी। इसके लिए कमेटी गठित कर दी गई है, जोकि विभिन्न स्कूल व सेंटरों के प्रमुख से सुझाव लेगी।
बैठक में शिक्षकों व कर्मियों की भर्ती और प्रमोशन में यूजीसी रेगुलेशन-2018 के नियम लागू होंगे। इसके अलावा अब एमफिल और पीएचडी में कोई दूसरे की रिसर्च को अपना नाम नहीं दे सकेगा। यदि कोई ऐसा करता है, तो फिर यूजीसी रेगुलेशन-2018 के साहित्यिक चोरी नियम के तहत कार्रवाई होगी। बैठक में जेएनयू यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लागू करने के लिए जेएनयू अध्यादेश की जगह नया अध्यादेश लाने पर भी सहमति बनी। इसके लिए कमेटी गठित कर दी गई है, जोकि विभिन्न स्कूल व सेंटरों के प्रमुख से सुझाव लेगी।
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