एक बार तो हौसला टूट गया था, लेकिन हार नहीं मानी और पीसीएस टॉप कर लिया। अब खुद बता रहे हैं कैसे रचा इतिहास
हजार मुश्किलें राहों में खड़ी थीं लेकिन, हमने भी पैरों को फौलाद बना रखा था...ये लाइनें मुक्तसर (पंजाब) के 43 वर्षीय तरसेम चंद पर बिलकुल फिट बैठती हैं, जिन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करने के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी और पंजाब सिविल सर्विस में टॉप कर दिखा दिया कि अगर लक्ष्य पर निशाना साध लिया जाए तो उसे भेदने से कोई नहीं रोक सकता। तरसेम के परिवार में कोई दसवीं तक भी नहीं पढ़ा था, उनके पिता खच्चर चलाते थे लेकिन तरसेम पढ़ना चाहते थे।
पढ़-लिख कर वह अपने और अपने परिवार के जीवन स्तर को सुधारना चाहते थे। इसे उन्होंने जुनून बना लिया। दसवीं और बारहवीं इसके बाद बीए की और फिर क्लर्क की नौकरी कर ली। क्लर्क की नौकरी करने के बावजूद पढ़ने की ललक कम नहीं हुई। उन्होंने एमए के बाद पीयू से इवनिंग क्लास में लॉ भी कर लिया। इसके साथ ही पंजाब सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुट गए।
घर, ऑफिस और पढ़ाई के बीच कई बार मुश्किलें आईं, लेकिन तरसेम कभी रुके नहीं। लक्ष्य पर उनकी नजर थी। आखिरकार मेहनत रंग लाई और अब बाबू तरसेम चंद ने पीसीएस की परीक्षा पास ही नहीं कि बल्कि टॉप भी कर लिया। तरसेम चंद की मेहनत ने उन्हें बाबू से अधिकारी बना दिया है। तरसेम चंद ने बताया कि उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। वे छह भाई-बहन थे। पिता खेम चंद की कमाई से बड़ी मुश्किल घर का खर्च चलता था। यह बात उन्हें बहुत कचोटती थी।
तरसेम पढ़-लिखकर अपने और परिवार की दशा सुधारना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया। राह में कई मुश्किलों के बावजूद वह पढ़ते रहे। साल 2000 में सरकारी नौकरी लग गई। तरसेम चंद फिलहाल पंजाब सिविल सचिवालय में सीनियर असिस्टेंट के पद पर काम कर रहे हैं। 2016 में उन्होंने पीयू के इवनिंग लॉ विभाग से लॉ की और उसी दौरान पीसीएस की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुट गए।
अक्तूबर 2017 में परीक्षा दी थी, जिसका अब नतीजा आया है। तरसेम चंद ने बताया कि अभी उनका रिजल्ट तो आ गया है, लेकिन जब तक ट्रेनिंग का पत्र नहीं आता, अपनी नौकरी जारी रखेंगे। चंडीगढ़ के सेक्टर-35 में परिवार के साथ रहने वाले तरसेम चंद की पत्नी शकुंतला शिक्षिका हैं और सेक्टर-22 सी स्थित सरकारी मॉडल स्कूल में पढ़ाती हैं। तरसेम चंद ने बताया कि उन्हें पत्नी और परिवार से पूरा सहयोग मिला।
हजार मुश्किलें राहों में खड़ी थीं लेकिन, हमने भी पैरों को फौलाद बना रखा था...ये लाइनें मुक्तसर (पंजाब) के 43 वर्षीय तरसेम चंद पर बिलकुल फिट बैठती हैं, जिन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करने के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी और पंजाब सिविल सर्विस में टॉप कर दिखा दिया कि अगर लक्ष्य पर निशाना साध लिया जाए तो उसे भेदने से कोई नहीं रोक सकता। तरसेम के परिवार में कोई दसवीं तक भी नहीं पढ़ा था, उनके पिता खच्चर चलाते थे लेकिन तरसेम पढ़ना चाहते थे।
पढ़-लिख कर वह अपने और अपने परिवार के जीवन स्तर को सुधारना चाहते थे। इसे उन्होंने जुनून बना लिया। दसवीं और बारहवीं इसके बाद बीए की और फिर क्लर्क की नौकरी कर ली। क्लर्क की नौकरी करने के बावजूद पढ़ने की ललक कम नहीं हुई। उन्होंने एमए के बाद पीयू से इवनिंग क्लास में लॉ भी कर लिया। इसके साथ ही पंजाब सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुट गए।
घर, ऑफिस और पढ़ाई के बीच कई बार मुश्किलें आईं, लेकिन तरसेम कभी रुके नहीं। लक्ष्य पर उनकी नजर थी। आखिरकार मेहनत रंग लाई और अब बाबू तरसेम चंद ने पीसीएस की परीक्षा पास ही नहीं कि बल्कि टॉप भी कर लिया। तरसेम चंद की मेहनत ने उन्हें बाबू से अधिकारी बना दिया है। तरसेम चंद ने बताया कि उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। वे छह भाई-बहन थे। पिता खेम चंद की कमाई से बड़ी मुश्किल घर का खर्च चलता था। यह बात उन्हें बहुत कचोटती थी।
तरसेम पढ़-लिखकर अपने और परिवार की दशा सुधारना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया। राह में कई मुश्किलों के बावजूद वह पढ़ते रहे। साल 2000 में सरकारी नौकरी लग गई। तरसेम चंद फिलहाल पंजाब सिविल सचिवालय में सीनियर असिस्टेंट के पद पर काम कर रहे हैं। 2016 में उन्होंने पीयू के इवनिंग लॉ विभाग से लॉ की और उसी दौरान पीसीएस की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुट गए।
अक्तूबर 2017 में परीक्षा दी थी, जिसका अब नतीजा आया है। तरसेम चंद ने बताया कि अभी उनका रिजल्ट तो आ गया है, लेकिन जब तक ट्रेनिंग का पत्र नहीं आता, अपनी नौकरी जारी रखेंगे। चंडीगढ़ के सेक्टर-35 में परिवार के साथ रहने वाले तरसेम चंद की पत्नी शकुंतला शिक्षिका हैं और सेक्टर-22 सी स्थित सरकारी मॉडल स्कूल में पढ़ाती हैं। तरसेम चंद ने बताया कि उन्हें पत्नी और परिवार से पूरा सहयोग मिला।
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