आज जिस महिला के बारे में बात करने जा रहे हैं वह उस काम को लेकर चर्चा में है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है. हम बात कर रहे हैं लखनऊ के आईएएस अफसर जितेंद्र कुमार की पत्नी सीमा गुप्ता के बारे में. जो इन दिनों गरीब बच्चों के लिए सरकारी बंग्ले में क्लासेज चलाती हैं. साथ ही बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ खाना-पीने की भी सुविधा दे रही हैं. आपको बता दें, उन्होंने 25 बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी ली है.
आपको बता दें, ये सभी वह बच्चे हैं जो आपको कुछ रुपयों के लिए ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगते, खिलौने बेचते बच्चे दिख जाएंगे. वहीं इनमें से ज्यादातर बच्चे सड़क पर ही रहते हैं. सीमा ने बताया कि वह सामाजिक सेवा क्षेत्र में दूसरों की तरह एनजीओ खोलने में विश्वास नहीं रखती हैं. इसलिए सीमा बताती हैं कि उनका घर अब सिर्फ उनका ना होकर उन 25 लड़कों और लड़कियों का भी घर बन गया है.
सीमा का ये स्कूल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां बच्चों को पढ़ाई ही नहीं बल्कि खाने-पीने से लेकर कपड़े तक की सुविधा दी जाती है. वहीं दूसरी ओर बच्चों को भी यहां खूब मजा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सीमा का बंग्ला लखनऊ के विभूति खंड में हैं. बच्चों की क्लासेज सीमा के गार्डन में ही चलती हैं जहां वह बच्चों को पढ़ाती हैं.
यहीं नहीं सीमा के इस काम में उनके पति भी खूब मदद कर रहे हैं जहां उन्होंने अपनी प्राइवेट कार और ड्राइवर को भी इस काम में लगा दिया है. जो कार बच्चों को उनके घर से बंग्ले तक लाती है और उन्हें वापस भी छोड़ने जाती है. वहीं इस इस अनोखे स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे ने कहा कि वह उसके लिए सीमा सिर्फ टीचर नहीं बल्कि 'मां' के जैसी हैं.
दूसरी ओर सीमा बच्चों का भविष्य उज्जवल करने के लिए अपने पति से गुजारिश कर रही हैं कि वह इन सभी बच्चों को अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने में मदद करें ताकि उनका भविष्य संवर सके. बता दें, वह बच्चों संग ब्रेकफास्ट करने के बाद क्लास में पहुंच जाती हैं. जहां वह दोपहर तक बच्चों को पढ़ाती हैं. फिर बच्चों को दोपहर का खाना खिलाती हैं.
वहीं सीमा को इस काम को करने की प्रेरणा रानी मुखर्जी की फिल्म 'हिचकी' देखकर मिली. उस फिल्म में हिचकी की बीमारी और गरीबी-अमीरी के बीच के बारे में दर्शाया गया था. जिसके बाद सीमा ने फैसला किया वह कि वह उन गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारने का काम करेंगी जो सुख-सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं |
आपको बता दें, ये सभी वह बच्चे हैं जो आपको कुछ रुपयों के लिए ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगते, खिलौने बेचते बच्चे दिख जाएंगे. वहीं इनमें से ज्यादातर बच्चे सड़क पर ही रहते हैं. सीमा ने बताया कि वह सामाजिक सेवा क्षेत्र में दूसरों की तरह एनजीओ खोलने में विश्वास नहीं रखती हैं. इसलिए सीमा बताती हैं कि उनका घर अब सिर्फ उनका ना होकर उन 25 लड़कों और लड़कियों का भी घर बन गया है.
सीमा का ये स्कूल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां बच्चों को पढ़ाई ही नहीं बल्कि खाने-पीने से लेकर कपड़े तक की सुविधा दी जाती है. वहीं दूसरी ओर बच्चों को भी यहां खूब मजा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सीमा का बंग्ला लखनऊ के विभूति खंड में हैं. बच्चों की क्लासेज सीमा के गार्डन में ही चलती हैं जहां वह बच्चों को पढ़ाती हैं.
यहीं नहीं सीमा के इस काम में उनके पति भी खूब मदद कर रहे हैं जहां उन्होंने अपनी प्राइवेट कार और ड्राइवर को भी इस काम में लगा दिया है. जो कार बच्चों को उनके घर से बंग्ले तक लाती है और उन्हें वापस भी छोड़ने जाती है. वहीं इस इस अनोखे स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे ने कहा कि वह उसके लिए सीमा सिर्फ टीचर नहीं बल्कि 'मां' के जैसी हैं.
दूसरी ओर सीमा बच्चों का भविष्य उज्जवल करने के लिए अपने पति से गुजारिश कर रही हैं कि वह इन सभी बच्चों को अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने में मदद करें ताकि उनका भविष्य संवर सके. बता दें, वह बच्चों संग ब्रेकफास्ट करने के बाद क्लास में पहुंच जाती हैं. जहां वह दोपहर तक बच्चों को पढ़ाती हैं. फिर बच्चों को दोपहर का खाना खिलाती हैं.
वहीं सीमा को इस काम को करने की प्रेरणा रानी मुखर्जी की फिल्म 'हिचकी' देखकर मिली. उस फिल्म में हिचकी की बीमारी और गरीबी-अमीरी के बीच के बारे में दर्शाया गया था. जिसके बाद सीमा ने फैसला किया वह कि वह उन गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारने का काम करेंगी जो सुख-सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं |
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