बदहाल बुंदेलखंड हमेशा से ही किसानों की बदहाली, पेय जल समस्या और पिछड़े पन के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन यहां पर कभी प्रतिभाओं की कमी नहीं रही। जी हां, आईएएस परीक्षा में 767वीं रैंक में चयनित होकर बांदा के बबेरू कस्बे के निवासी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले वरुण यादव ने यह सिद्ध कर दिया है। वरुण यादव ने आईएएस परीक्षा में जगह बनाकर ये बताया है कि जगह, परिस्थितियों के विपरीत होने पर भी सफलता पाई जा सकती है|
शादी तो की लेकिन कभी नहीं किया एन्जॉय, अब एक साथ IAS एग्जाम में हुए सेलेक्
अपना सपना पूरा करने के लिए छोड़ दिए कई मौके
आपको बता दें कि वरुण यादव एक मध्यम वर्ग के किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी बांदा में ही प्राप्त की है। बेहद ही सरल स्वभाव के वरुण अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार, गुरु और अपने मित्रों को दे रहे हैं। इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की है और बबेरु के जेपी इण्टर कॉलेज से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इसके आलावा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से बीएड भी किया। इसके पूर्व 2011 में इन्होंने प्रशासनिक सेवा का साक्षात्कार दिया, लेकिन चयन नहीं हो सका था। इसके बाद लगातार आईएएस की मुख्य परीक्षा देते रहे और अब इनका चयन हो गया। वरुण यादव का इस साल पीजीटी में भी चयन हुआ था। मुख्य परीक्षा में विषय इतिहास रखकर वरुण ने हिंदी मीडियम से तयारी की। इसके पहले 2011 में बैंक पीओ, सीपीएफ कमांडेंट के पद पर भी वरुण का चयन हुआ था पर उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। क्योंकि उनका रुझान सिर्फ प्रशासनिक सेवा की तरफ ही था। जिसमें कठिन परिश्रम के बाद वरुण यादव को कामयाबी मिली
यह भी पढ़ें: अयोध्या दौरे के दौरान योगी के पैरों पर गिर गया ये पुलिस अधिकारी, जमकर की चरणवंदना!
माता-पिता और पत्नी को दिया सफलता का श्रेय
वरुण यादव ने कहा कि मेरे आईएएस की परीक्षा पास करने का पूरा श्रेय मेरे माता-पिता और माता मधिदै को जाता है। साथ ही मेरी पत्नी ने भी मेरा मनोबल बढ़ाया क्योंकि मेरी पत्नी पहले से ही प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका के पद पर थी। वरुण ने बताया कि मेरे इस चयन से मेरे यार दोस्त व मेरे पूरे परिवार के लोग खुश हैं। बचपन में मैं बहुत मस्ती भी किया करता था। तालाब में नहाना, कंचे खेलना, क्रिकेट खेलने के साथ समय-समय पर घरवालों के डर से पढाई भी करता रहा। जिससे आज मुझे ये सफलता मिली है।
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माता-पिता और पत्नी को दिया सफलता का श्रेय
वरुण यादव ने कहा कि मेरे आईएएस की परीक्षा पास करने का पूरा श्रेय मेरे माता-पिता और माता मधिदै को जाता है। साथ ही मेरी पत्नी ने भी मेरा मनोबल बढ़ाया क्योंकि मेरी पत्नी पहले से ही प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका के पद पर थी। वरुण ने बताया कि मेरे इस चयन से मेरे यार दोस्त व मेरे पूरे परिवार के लोग खुश हैं। बचपन में मैं बहुत मस्ती भी किया करता था। तालाब में नहाना, कंचे खेलना, क्रिकेट खेलने के साथ समय-समय पर घरवालों के डर से पढाई भी करता रहा। जिससे आज मुझे ये सफलता मिली है।
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